Kamal Kishore Kafir13 मार्च 20231 मिनटदीवार ओ दरदीवारों ओ दर बदल गए सारे मंज़र बदल गए कहां जाऊ बचपन की निशानिया ढूढ़ने मका बदल गए घर बदल गए हर सू इमारतें तामीर हो गईं बचपन मे जहा छुपते थे...
Kamal Kishore Kafir13 मार्च 20231 मिनटकविता: कितने हम मॉडर्न हो गएकितने हम मॉडर्न हो गए रिश्ते भी अब contract हो गए कॉन्ट्रैक्ट भी होता है बैंक्वेट मे कहा रिश्तो के नाजुक tent खो गए औरो की जॉब के लिए है...
Kamal Kishore Kafir12 मार्च 20232 मिनटये कभी साथ नहीं छोड़तेआज के इस कोरोना काल मे जहाँ सारे लोग कह रहे है की कोई साथ नहीं दे रहा सरकार साथ नहीं दे रही । समाज साथ नहीं दे रहा , अपना परिवार साथ...
Kamal Kishore Kafir12 मार्च 20231 मिनटhindi shero shayariकविता: जनसंख्या वृद्धि अगर यूं ही होती रहीजनसंख्या मे अगर यूही वृदि होगी २१ वी सदी कुछ ऐसी होगी BA , MA पास बनेंगे चपरासी, कितने ही ग्रेजुएट देंगे खुद को फांसी माँ बेटे को नहीं...