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कविता: कितने हम मॉडर्न हो गए

अपडेट करने की तारीख: 5 मई

कितने हम मॉडर्न हो गए रिश्ते भी अब contract हो गए


कॉन्ट्रैक्ट भी होता है बैंक्वेट मे कहा रिश्तो के नाजुक tent खो गए


औरो की जॉब के लिए है हम पुन्चुअल अपने बच्चो के लिए absent हो गए


बच्चो की ख़ुशी मे मुस्कुराले ए दोस्त क्या हुआ दिल मे तेरे कई dent हो गए


प्रेम विवाह करके जिस घर को बनया था प्रेम भवन आज उसी घर मे tenant हो गए


अपनी मुताबिक न चले वोह रिश्ता गुलामी है आज़ादी के लिए हम कितने arrogant हो गए


कपड़ो और फैशन पे कुछ मत बोलना कपडे तो आत्मा के equivalent हो गए


अन्पड माँ बाप को घर से निकाल दिया बच्चे कितने intellgent हो गए


मुझे किसी को कुछ नहीं समझाना लो हम भी काफ़िर silent हो गए



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कितने हम मॉडर्न हो गए


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