https://amzn.to/3URbXJD google.com, pub-7605138174956848, DIRECT, f08c47fec0942fa0 pub-7605138174956848
top of page

कविता: जनसंख्या वृद्धि अगर यूं ही होती रही

अपडेट करने की तारीख: 4 जून

जनसंख्या मे अगर यूही वृदि होगी २१ वी सदी कुछ ऐसी होगी


BA , MA पास बनेंगे चपरासी, कितने ही ग्रेजुएट देंगे खुद को फांसी


माँ बेटे को नहीं नौकरी को रोएगी.


२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी


हर वाहन को इंसानों से धक्का देकर चलवाया जायेगा जब तेल से सस्ता इन्सान यहाँ मिल जायेगा


भीड़ होगी वह सबसे ज्यादा जहाँ पेट्रोल की नुमाइश होगी


२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी


जगह न होगी रहने की कई लोगो एक कमरे मे रखा जायेगा उसपे होगा ये ज़ुल्म कि रेंट बढाया जायेगा


हर कोई मध्यमवर्गीय रहने को टेंट लगाएगा शादी टेंटो मे नहीं वकीलों के दस्तावजो मे होगी


२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी


हथकंडे न चल जाये किसी शैतान के जो बेचने लगे मांस को इंसान के


तुम न खाना यारो शायद उसमे मेरी भी हड्डी होगी


२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी



कविता: जनसंख्या KAVITA, POEM, POPULATION
कविता: जनसंख्या वृद्धि अगर यूं ही होती रही

हथकंडे न चल जाये किसी शैतान के जो बेचने लगे मांस को इंसान के


तुम न खाना यारो शायद उसमे मेरी भी हड्डी होगी


२१ वी सदी कुछ ऐसी होगी


KAMAL KISHORE"KAFIR"

5 दृश्य0 टिप्पणी

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें

HARMONY, TREE , SKY AND SUN

bottom of page