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दीवार ओ दर

अपडेट करने की तारीख: 5 मई

दीवारों ओ दर बदल गए सारे मंज़र बदल गए कहां जाऊ बचपन की निशानिया ढूढ़ने मका बदल गए घर बदल गए हर सू इमारतें तामीर हो गईं बचपन मे जहा छुपते थे वो खंडहर बदल गए बचपन के दोस्त कहा मिलते है किसी के रास्ते बदल गए किसी के तेवर बदल गए लटकते चेहरे उदासियाँ और तनहाइयाँ है इसके घर गए या उसके घर गए

कमल किशोर काफिर



दीवार ओ दर SHERO SHAYARI, SHAYARI
दीवार ओ दर



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