हर हादसे की मजम्मत करते रहो
हर हादसे की मजम्मत करते रहो
सारे दस्तूर गिर जाए मरम्मत करते रहो
तुम रखो खुश अपने आका ए सियासत
मर भी जाओ तो खिदमत करते रहो

कमल किशोर "काफिर"
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